1. नारी स्वय् संचालित शक्ती है । लेकिन । पुरूष । नारी शक्ती से । संचालित होता है ।
  1. नारी । पुरूष के जीवन मे । डायनुमा की तरह । काम करती है ।
  1. पुरूष के जीवन मे । नारी के प्रवेश करते ही । लापरवाह पुरूष । जिम्मेदार बन जाता है । अकर्मन्ड पुरूष । कर्मवीर बन जाता है । न कमाने वाला पुरूष । कमाने लगता है ।
  1. पुरूष का जीवन । प्रकाशमय हो जाता है । पुरूष का जीवन । खुसियों से भर जाता है । नारी के बिना । पुरूष का जीवन अधूरा है ।
  1. हर एक नारी । हर एक पुरूष के लिए । एक शक्ती है ।
  1. इसीलिए । पुरूष । नारी की तरफ भागता है । की जीवन मे । नारी के प्रवेश करते ही । जीवन खुसियों से भर जाएगा ।
  1. इसीलिए नारी को शक्ती कहते है ।