कुदरत का नियम है जहाँ नर । वहाँ किन्नर ।।

  1. किन्नर समाज । हमारे समाज का । अभिन्न अंग हैं ।
  1. इतिहास के पन्ने पलट कर देखते है । तो किन्नर समाज का । हमारे समाज मे विशेष । अलग स्थान रहा है ।
  1. धार्मिक ग्रन्थों मे भी । किन्नर समाज का वर्णन होता है ।
  1. किन्नर समाज । हमारे समाज के । शुभ प्रसंगो मे । घरों घरों मे जाकर । आशीष दुऑयें देकर । बलाओं के रूप मे । धन ले जाते है ।
  1. हमारे समाज की बलायें । लेने वाला कोई तो है ।
  1. शायद इसीलिए । कुदरत ने । जहाँ नर । वहीँ किन्नर । हमारे समाज के । हित के लिए बनाया है ।
  1. इसीलिए किन्नर समाज । हमारे समाज का अभिन्न अंग हैं ।
  1. इसीलिए किन्नर समाज का । हमारे समाज मे । विशेष अलग स्थान रखना जरूरी है ।